बाल दिवस (भारत के भविष्य को जाने और उनको सही दिशा दें )
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बच्चे मन के सच्चे ये वो फूल है जो भगवान् को लगते अच्छे
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ये लाइन बच्चो के कोमल मन, पवित्र भाव को दर्शाती है अगर पूरी दुनिया बच्चो की तरह निश्चल और निष्पक्ष होती तो दुनिया में डर, भय, आतंक, अपना, पराया जेसे शब्द नहीं होते कल्पना करें कि तब दुनिया केसी दिखाई देती मुझे लगता है की जेसा मैं सोच पा रही हूँ वेसा ही आप भी सोच रहे होंगे |
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ये लाइन बच्चो के कोमल मन, पवित्र भाव को दर्शाती है अगर पूरी दुनिया बच्चो की तरह निश्चल और निष्पक्ष होती तो दुनिया में डर, भय, आतंक, अपना, पराया जेसे शब्द नहीं होते कल्पना करें कि तब दुनिया केसी दिखाई देती मुझे लगता है की जेसा मैं सोच पा रही हूँ वेसा ही आप भी सोच रहे होंगे |
अगर आप मेरी तरह सोच पा रहे है तो फिर सोचने की बात ये भी है की फिर ये दुनिया ऐसी क्यू है इतना हाहाकार क्यों है इंसान इंसान के खून का प्यासा क्यों है ? ये इंसान जो खून का प्यासा है कब बच्चे से इंसान बन कर ये हेबानियत पर उतर आया पता ही नहीं चला |
अगर हमारे घर में बच्चे है तो कृपया उन बच्चो के अच्छे संस्कार दे और नेक इंसान बनाए उनके मन की कोमलता को बरकरार रखे जिससे ईश्वर की इस खुबसुरत कायनात में प्रेम और सौहार्द का माहोल तैयार हो सके |
दुःख इस बात का है लाखों बच्चे ऐसे जिनकी जिन्दगी सडकों पर नशे में गुजर रही है ,बहुत से बच्चे जिन्होंने आज तक स्कूल को देखा भी नहीं ये ही नहीं मैंने उनके हाथो कटोरा देखा है भीख मांगते देखा है तब मुझे दुःख होता है जब वो हाथ फेलाते है और मैं मना कर देती हूँ जब मैं कोशिश करती हूँ की उनके माँ बाप से बात करू तो उल्टा मेरे ऊपर वार होता है ऐसे में ये जिम्मेदारी किसकी है समझाना पडेगा हम सबको साझा प्रयास करना पड़ेगा |
आज भलस्वा के बच्चो ने बाल दिवस मनाया और अपने मन की बात कही, स्कूल में क्या माहोल है कैसे शिक्षक उनके साथ पेश आते है गाली देते है, ठीक से पढाई नहीं होती , पीने का पानी नहीं है शौचालय गंदे रहते है पूरे पीरियड नहीं लगते बेठने की ठीक से कोई व्यवस्था नहीं है एक कक्षा में 70 से 80 बच्चे बठते है आदि ऐसे में हमारे देश का क्या भविष्य तैयार हो रहा है, आप स्वयं समझ सकते हो |
बच्चो ने अपनी बात पेंटिंग के माध्यम से कहने की कोशिश की है आइये हम बच्चो की इन आड़ी तिरछी रेखाओं का मतलब जानें |
- पुष्पा