महिला दिवस 8 मार्च 2013 , भलस्वा पुनर्वास कॉलोनी , दिल्ली - 110042
शिव पुर, कर्ण चपरा, बलिया, उत्तर प्रदेश ,
अक्टूबर २०१२ - फरबरी २०१३
स्वराज
खेत खलियानों में,
लहलाती फसलों के
सुर सुन पाओ तो,
समझ आएगा ।
मजदूर किसानों की
मेहनत के लाल हरे रंग को
पहचान पाओ तो,
समझ आएगा ।
इस माटी की,
सोंधी - सोंधी खुशबु
ले पाओ तो
समझ आएगा ।
सीमा पर तैनात,
सिपाही के बलिदान को
समझ पाओ तो
समझ आएगा ।
कभी पिजड़े में बंद,
चिरइया को,
आज़ाद कर के देखो तो
समझ आएगा ।
हम फसे हुए हैं
नपुंसक व्यवस्था के जाल में !
तब बुनोगे तुम,
स्वराज का ताना - बाना
हर हाल में ।
और
समझ पाओगे
स्वराज के माईने ।
आज भी
देश के हर गाँव में
हर घर के आगन में,
पल रहें है
मन्नू बाई और भगत सिंह
जिन्हें चाहिए स्वराज
अपना देश अपना राज ।
इस देश के हर युवा को,
आम व खास को
फूंकना होगा शंख
इस नपुंसक व्यवस्था के खिलाफ ।
खेत खलियानों के लिए,
मजदूर किसानों के लिए,
माटी की खुशबु की लिए,
पिंजरे में बंद चिरइया के लिए ।
हम जगाएँगे आत्मविश्वास
हम लायेगें स्वराज ।
अब होगा सफ़र शुरू
गाँव से संसद की ऒर
हर गली, हर नुक्कड़
हर कुआँ, हर चोपालों
पर लगेंगे मेले
अधिकार के ।
स्वराज के ।
तब फिर से जी उठेगा
मेरा देश
मेरा भारत महान ।
होलंबी कलां जन सभा दिसंबर 2011
Awareness Program 18 January 2012
RTI Training
अलवर के आस पास के गाँव से पड़ने आये छात्रों में सामाजिक चेतन का
आभास करा सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया में जोड़ना .
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